क्या विदेश में रहने वाले भारतीय, भारत से आने वाले भारतीयों को तुच्छ समझते हैं?

क्या विदेश में रहने वाले भारतीय, भारत से आने वाले भारतीयों को तुच्छ समझते हैं? जुल॰, 30 2023

भारतीयता की असली ताकत

हमें अपनी भारतीयता की स्वीकार करने की बहुत जरूरत है। हम धनी भारतीय वर्ग के हो सकते हैं, हम समृद्धिशाली व्रजवासी हो सकते हैं, लेकिन हम अपनी भारतीयता की कभी पहचान नहीं खो सकते। भले ही हम अपनी सांस्कृतिक सहनशीलता को लेकर पर्याप्त विश्वास महसूस कर सकते हैं, लेकिन हमें अभी भी अपनी मूल भाषा में अपने जीवन की चुनौतियों और बाधाओं को साझा करने का मन करता है।

विदेश में भारतीय और भारत से आने वाले भारतीयों की तुलना

विदेश में रहने वाले भारतीयों और भारत से ही आने वाले भारतीयों की तुलना करना नामुमकिन नहीं है। हम दोनों के अनुभवों, संघर्षों, सफलताओं और विफलताओं को महसूस कर सकते हैं। ऐसी मान्यता है कि विदेश में बसने वाले भारतीय हमारे सामर्थ्य, क्षमताओं और भारतीयता की संपत्ति को मना करते हैं।

हमारा सम्मान और हमारी पहचान

सच्चाई यह है कि हर कोई हमारे अधीन है। हम ही अपना सम्मान, आत्मसम्मान, और मान्यताएं चुनते हैं। एक सच्चा भारतीय कभी भी अपना मूलय नहीं भूलता है, चाहे वह कहीं भी रह रहा हो।

सम्मान और स्वाभिमान

सम्मान और स्वाभिमान, ये दो शब्द हमारे लिए अहम हैं, और हमें इन्हें बल्ले के नीचे नहीं दबाना चाहिए। क्यों न हम आत्मसम्मान के साथ अपनी भावनाओं, आवश्यकताओं, और कामनाओं के प्रति सहानुभूति दिखाएं?

भारतीयता का गौरव

भारतीयता का गौरव इतना ऊचा है कि कोई भी उसे छूने के लिए अपने आप को पूरी तरह से समर्पित कर सकता है। भारतीयता की शक्ति और संगठनात्मकता को अनुभव करने के लिए, सीता को राम की तलाश की आवश्यकता नहीं होती, न ही सीता को राम से बात करने की आवश्यकता होती है।

हम सब भारतीय हैं

हम सब भारतीय हैं। हमें इसे जोरदार तरीके से कहना चाहिए, "हम सब भारतीय हैं!" और इस पर गर्व महसूस करना चाहिए। इसे किसी भी प्रकार के घमंड से अलग रखना चाहिए, और इसे सहज और सीधे तरीके से कहना चाहिए। चाहे वह किसी भी देश, संस्कृति, जाति, या धर्म का हो, हम सब भारतीय हैं।

अंतिम कुटनीति

अंतिम रूप से, हमें स्वीकार करना पड़ेगा कि हम सब भारतीय हैं, और हमें एक दूसरे को तुच्छ नहीं समझना चाहिए। प्रत्येक भारतीय के पास अपना एक अद्वितीय और मूल्यवान योगदान होता है, चाहे वह भारत में रहता हो या विदेश। हमें यह याद रखना चाहिए कि हम सब एक ही सौहार्दपूर्ण, संवेदनशील, और अनन्त भारतीय आत्मा के हिस्से हैं।